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मैंने गीत लिखे कई गजल लिखें
पर जज्बात न दिल के लिख पाया
जब लिखा शहीदों की कुर्बानी
इन आंखों में खून उतर आया
मैंने गीता, बाईबल, कुरान पढ़ा
पर खुद को कभी ना पढ़ पाया
जब पढ़ा शहीदों की गाथा
जीवन का मर्म समझ आया
हिंदू मुस्लिम सब भाई-भाई
पर भेद न दिल का मिट पाया
जब देश गुलाम हुआ अपना
कोई हिंदू-मुस्लिम ना बच पाया
जो सीमा पर वीर शहीद हुआ
वो वीर सपूत ही कहलाया
उस वीर के अंतिम दर्शन में
कोई मजहब नहीं नजर आया
इस पावन भूमि में जन्म लिया
पर भारत वासी ना बन पाया
वो मजहब धर्म का क्या होगा
जो मातृभूमि का ना हो पाया
पर जज्बात न दिल के लिख पाया
जब लिखा शहीदों की कुर्बानी
इन आंखों में खून उतर आया
मैंने गीता, बाईबल, कुरान पढ़ा
पर खुद को कभी ना पढ़ पाया
जब पढ़ा शहीदों की गाथा
जीवन का मर्म समझ आया
हिंदू मुस्लिम सब भाई-भाई
पर भेद न दिल का मिट पाया
जब देश गुलाम हुआ अपना
कोई हिंदू-मुस्लिम ना बच पाया
जो सीमा पर वीर शहीद हुआ
वो वीर सपूत ही कहलाया
उस वीर के अंतिम दर्शन में
कोई मजहब नहीं नजर आया
इस पावन भूमि में जन्म लिया
पर भारत वासी ना बन पाया
वो मजहब धर्म का क्या होगा
जो मातृभूमि का ना हो पाया
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