
Share0 Bookmarks 109 Reads0 Likes
तुम्हें हमसे मोहब्बत थी
ये शायद हम समझ जाते
मिलाती गर कभी नजरें
तेरी आंखों को पढ़ पाते
मनोज मिश्र
ये शायद हम समझ जाते
मिलाती गर कभी नजरें
तेरी आंखों को पढ़ पाते
मनोज मिश्र
No posts
No posts
No posts
No posts
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments