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सुख में इतराना क्या
दुख से घबराना क्या
सुख दुख तो दाने हैं
वक्त की चक्की में
पिस जाने हैं
कुछ पिस गए
कुछ बाकी हैं
किसी को कम
किसी को अधिक हैं
पूर्व कर्मों के साक्षी हैं ।
मं शर्मा (रज़ा)
दुख से घबराना क्या
सुख दुख तो दाने हैं
वक्त की चक्की में
पिस जाने हैं
कुछ पिस गए
कुछ बाकी हैं
किसी को कम
किसी को अधिक हैं
पूर्व कर्मों के साक्षी हैं ।
मं शर्मा (रज़ा)
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