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उस सुदूर अनंत गगन से
इस विस्तृत विशाल धरा तक
कण कण में तेरा वास है
हर गुहार पहुँचती तुझ तक
एक अदृश्य अलौकिक शक्तिपुँज
तुम समस्त ब्रह्मांड के संचालक
हम तुच्छ अज्ञानी बालक हैं
तुम समस्त सृष्टि के पालक।
मं शर्मा (रज़ा)
इस विस्तृत विशाल धरा तक
कण कण में तेरा वास है
हर गुहार पहुँचती तुझ तक
एक अदृश्य अलौकिक शक्तिपुँज
तुम समस्त ब्रह्मांड के संचालक
हम तुच्छ अज्ञानी बालक हैं
तुम समस्त सृष्टि के पालक।
मं शर्मा (रज़ा)
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