पन्ना's image
Share0 Bookmarks 36 Reads0 Likes
जेठ की अलसाई दोपहर में
घंटों यूँ ही दालान में बैठना
सब से छिपकर सखियों के संग
प्रियतम की ढेरों बातें करना 
आज भी रोमांचित होता है मन
पलटूँ जब जीवन का वो पन्ना ।

    मं शर्मा (रज़ा)

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts