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भीगी भीगी पलकों के
भीगे भीगे अल्फाज़
आँखों की गली से
हौले से फिसल गए
खामोश संवादों का
एक मूक बवंडर
दिल की तलहटी में
फिर तन्हा छोड़ गए ।
मं शर्मा (रज़ा)
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