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छन छन कर आती थी
चाँदनी खिड़कियों से
ठंडी हवा के मदमस्त
झोंकों की तरह
बस एक दस्तक ही
न हुई दरवाज़े पर
अफसोस फकत
इस बात का रहा ।
मं शर्मा (रज़ा)
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