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आशाएं रखनी न थीं
उम्मीदें पालनी न थीं
निराशाएँ जब पनपीं
हौसले धुआँ हो गए
आँखों के रास्ते बहकर
ख्वाब पानी हो गए।
मं शर्मा (रज़ा)
उम्मीदें पालनी न थीं
निराशाएँ जब पनपीं
हौसले धुआँ हो गए
आँखों के रास्ते बहकर
ख्वाब पानी हो गए।
मं शर्मा (रज़ा)
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