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एक प्रेम मैंने भी किया
अनकहे शब्दों के साथ,
अनसुनी बातों के साथ,
झुकी झुकी आँखों के साथ,
और ना अभिव्यक्त होने वाले भावों के साथ,
एक प्रेम मैंने भी किया..
बिना किसी अनुबंध के साथ,
बिना किसी प्रतिबंध के साथ,
बिना किसी अपेक्षा और ना ही कोई उपेक्षा के साथ,
एक प्रेम मैंने भी किया..
उसकी हर भावना को समझने के साथ,
उसकी हर आदत को अपनाने के साथ,
उसके रंग में रंगने के साथ,
केवल हर क्षण साथ निभाने के भाव के साथ,
एक प्रेम मैंने भी किया..
जीवन की ऊँची नीची राहों पर
साथ चलने के वचन के साथ,
धूप छाँव और बारिश की फुहारों और
पतझड़ की बयारों के साथ,
हर राह और मौसम को साथ गुज़ारने की इच्छा के साथ,
एक प्रेम मैंने भी किया..
#मंजूषा#
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