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ज़िक्र हुआ आज फिर तेरा
गुज़रा ज़माना याद आया
मैं समझा था सब भूल गया
तुझे याद रखना याद आया
बेवजह तेरी गली से गुज़रना
मुझे देख तेरा अनदेखा करना
एक झलक पाने को तेरी
हद से गुजरना याद आ गया।
मं शर्मा (रज़ा)
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