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दुख से घबराता क्या है
दुख तो आता जाता है
कह देने से आधा होता
कोई सुने तो पूरा जाता है
ज़ख्मों का हिसाब न रख
हर घाव भर ही जाता है
तेरा बड़ा कि मेरा बड़ा
सोच सोच दुख बढ़ जाता है।
मं शर्मा( रज़ा)
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