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यादों के ख़जाने में
दुखों का ठिकाना है
पहलू में आ बैठा
दर्द कोई पुराना है
यादों की दलदल से
मुश्किल पार पाना है
लाख जतन कर देखे मैंने
तब जाकर ये जाना है।
मं शर्मा (रज़ा)
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यादों के ख़जाने में
दुखों का ठिकाना है
पहलू में आ बैठा
दर्द कोई पुराना है
यादों की दलदल से
मुश्किल पार पाना है
लाख जतन कर देखे मैंने
तब जाकर ये जाना है।
मं शर्मा (रज़ा)
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