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जिंदगी रूकती नहीं
कभी व्यवधानों से
नित नये रूप धरती है
नए नए परिधानों से
कैसे कैसे राज़ छिपे हैं
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कभी व्यवधानों से
नित नये रूप धरती है
नए नए परिधानों से
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