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मैं जानता हूँ तुम हो यहीं
कभी यकीन दिलाओ ना
झलक दिखला कर अपनी
मेरी भी सुध ले जाओ ना
बहुत देर राह देखूँगा नहीं
मैं भी तो हूँ तुमसा हठी
वो कौन है जिसने रोका है
उसका पता बताओ ना।
मं शर्मा (रज़ा)
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