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सच्ची बातें भी अब तो
झूठी सी लगती हैं
मीठी मुस्कानें भी अक्सर
फीकी सी लगती हैं
विषमताएँ न हों तो
जिंदगी बोझिल लगती है
मिठास अधिक हो जाए तो
मिठाई कड़वी लगती है ।
मं शर्मा (रज़ा)
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सच्ची बातें भी अब तो
झूठी सी लगती हैं
मीठी मुस्कानें भी अक्सर
फीकी सी लगती हैं
विषमताएँ न हों तो
जिंदगी बोझिल लगती है
मिठास अधिक हो जाए तो
मिठाई कड़वी लगती है ।
मं शर्मा (रज़ा)
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