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आहत वेदना की
तिरस्कृत संवेदनाएँ
क्रोधित मन
ढो रहा भर्त्सनाएँ
भीगे नैनों के
भीषण उद्वेलन ने
धो डाली सारी
कलुषित भावनाएँ।
मं शर्मा(रज़ा)
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आहत वेदना की
तिरस्कृत संवेदनाएँ
क्रोधित मन
ढो रहा भर्त्सनाएँ
भीगे नैनों के
भीषण उद्वेलन ने
धो डाली सारी
कलुषित भावनाएँ।
मं शर्मा(रज़ा)
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