Share0 Bookmarks 47462 Reads0 Likes
तू एक विशाल वृक्ष घना सा
मैं नाजुक कोमल वल्लरी हूँ
जब तक लिपटी हूँ तेरे तन से
मैं फलती फूलती
No posts
No posts
No posts
No posts
तू एक विशाल वृक्ष घना सा
मैं नाजुक कोमल वल्लरी हूँ
जब तक लिपटी हूँ तेरे तन से
मैं फलती फूलती
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments