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और क्या था जो
अनकहा रह गया
एक लम्हा था शायद
बिन गुज़रे रह गया
यूँ अचानक से
कोई जाता है क्या
सवाल वाजिब था
ज़हन में रह गया ।
मं शर्मा (रज़ा)
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और क्या था जो
अनकहा रह गया
एक लम्हा था शायद
बिन गुज़रे रह गया
यूँ अचानक से
कोई जाता है क्या
सवाल वाजिब था
ज़हन में रह गया ।
मं शर्मा (रज़ा)
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