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ख्वाब नहीं आँखों में कोई
हौसलों का कारवां तो है
अवरोध बहुत हैं राहों में
उड़ जाने को आसमां तो है
कल की यादें वो फरियादें
दर्द में जीना घुट घुट मरना
सबको भुलाना मुश्किल सही
पीछे छोड़ना तो मुमकिन है।
मं शर्मा( रज़ा)
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