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जिंदगी उम्मीद पर जीती है
बिन तेरे उदास उदास रहती है
माना मिलन की सूरत नहीं कोई
फिर भी एक आस सी रहती है
गुमशुदा हूँ मैं तेरी दुनिया में मगर
तू आज भी मेरे पते पर रहती है।
मं शर्मा(रज़ा)
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