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आँखों में जो उदासी है
काली रात की स्याही है
लम्हा लम्हा सुलगा कल
इस बात की गवाही है ।
मं शर्मा (रज़ा)
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आँखों में जो उदासी है
काली रात की स्याही है
लम्हा लम्हा सुलगा कल
इस बात की गवाही है ।
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