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जैसे चंदा का चकोर
जैसे सावन का मोर
जैसे पतंग की डोर
जैसे मन की हिलोर
जैसे प्यासे की प्यास
जैसे मिलन की आस
जैसे कश्ती का खेवैया
जैसे खुशी की ता थैय्या
कोई चाहे ना जितना
तुम्हें चाहा मैंने इतना
जैसे हिरण की मृगतृष्णा
जैसे मीरा के कृष्णा।
मं शर्मा (रज़ा)
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