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धूप हो कि छाँव हो
मुश्किलों की मार हो
कभी न मेरी हार हो
तुम गर साथ हो
हर जंग को जीत लें
मंजिलें फतेह करें
हर मुश्किल आसां हो
तुम अगर साथ हो।
मं शर्मा (रज़ा)
#स्वरचित
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धूप हो कि छाँव हो
मुश्किलों की मार हो
कभी न मेरी हार हो
तुम गर साथ हो
हर जंग को जीत लें
मंजिलें फतेह करें
हर मुश्किल आसां हो
तुम अगर साथ हो।
मं शर्मा (रज़ा)
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