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गंगा किनारे जमघट बड़ा है
उनको अपने गुनाहों का पता है
कुबूलते तो हैं पर सुधरते नहीं
लोगों के हाथ टोटका लगा है ।
मं शर्मा (रज़ा)
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गंगा किनारे जमघट बड़ा है
उनको अपने गुनाहों का पता है
कुबूलते तो हैं पर सुधरते नहीं
लोगों के हाथ टोटका लगा है ।
मं शर्मा (रज़ा)
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