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मैं भी कतार में था
हाथ क्यों बढ़ाया नहीं
तेरी ही ठोकर में था
तुझको नज़र आया नहीं
मेरी नज़र में तू ही तू
यूँ तो नजरअंदाज़
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मैं भी कतार में था
हाथ क्यों बढ़ाया नहीं
तेरी ही ठोकर में था
तुझको नज़र आया नहीं
मेरी नज़र में तू ही तू
यूँ तो नजरअंदाज़
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