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नज़र भर देख लेता मैं
तुझे गवारा न हुआ
तेरे सामने था मैं
मगर नज़ारा न हुआ
अधूरी कहानी का सदा
अधूरा अंजाम होता है
वक्त को इल्ज़ाम क्या देना
कब किसी का होता है।
मं शर्मा (रज़ा)
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नज़र भर देख लेता मैं
तुझे गवारा न हुआ
तेरे सामने था मैं
मगर नज़ारा न हुआ
अधूरी कहानी का सदा
अधूरा अंजाम होता है
वक्त को इल्ज़ाम क्या देना
कब किसी का होता है।
मं शर्मा (रज़ा)
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