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दिल में छिपी सारी बातें
भूली बिसरी सभी यादें
मन के कोरे कागज़ पर
आज मैंने उकेर दी हैं
चाहो तो तुम भी पढ़लेना
कुछ सुनहरी सी मुलाकातें
गुमसुम सी खामोश रातें
तेरे नाम भी लिख दी हैं।
मं शर्मा (रज़ा)
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