तरक्की's image
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धरती छिन गई

मकान बन गए

रोशनी छिन गई

बहुमंजिला हो गए



गाँव उजड़ गए

बस्तियाँ बस गईं

ढहते मकानों की

बुनियादें रह गईं


क्या खबर थी

ये वक्त भी आएगा

तरक्की की कीमत

हर गाँव चुकाएगा।


मं शर्मा (रज़ा)

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