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कभी कभी
मेरा मन चाहता है
मरूस्थल की तपती
चमचमाती रेत हो जाना
पानी को तरसती
तपती रेत पर
बनते बिगड़ते
निशान हो जाना
और कभी
जीवन के कोहराम में
सुकून के दो पल
अपने साथ जी पाना ।
मं शर्मा (रज़ा)
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