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सुकून की तलाश में ज़रा बैठे ही थे
तन्हाईयों ने आकर घेर लिया
धागे मन्नतों के बाँधे थे कल जिस पर
रात आँधियों में वो शजर गिर गया।
मं शर्मा (रज़ा)
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सुकून की तलाश में ज़रा बैठे ही थे
तन्हाईयों ने आकर घेर लिया
धागे मन्नतों के बाँधे थे कल जिस पर
रात आँधियों में वो शजर गिर गया।
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