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इन कोरे कागज़ों पर
स्याही भरे शब्दों को
जब जब कलम ने उतारा है
कभी शक्ति भरी क्रांति का
कभी भक्तिमय शांति का
सबक दुनिया को सिखाया है
कभी घायल रक्तरंजित होकर
कभी शीतल चंदन बनकर
स्याह शब्दों ने मार्ग सुझाया है।
मं शर्मा (रज़ा)
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