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तेज चमकना है सूरज को
नई सुबह को आना है
ये जीवन का अंत नहीं
मन को भी समझाना है
धूप छाँव या आँधी पानी
हर मुश्किल से गुज़रना है
हर सुबह नई शुरूआत है
हर रात को ये बताना है ।
मं शर्मा (रज़ा)
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