
Share0 Bookmarks 11 Reads0 Likes
तेज चमकना है सूरज को
नई सुबह को आना है
ये जीवन का अंत नहीं
मन को भी समझाना है
धूप छाँव या आँधी पानी
हर मुश्किल से गुज़रना है
हर सुबह नई शुरूआत है
हर रात को ये बताना है ।
मं शर्मा (रज़ा)
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments