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शब्दों की श्रंखला

आज कविता हुई है

कल्पना की रूपरेखा

आज मूर्त हुई है


ह्रदय सागर में उफनती

अनगिनत भावनाएँ

शब्दों की जुबानी

आज चित्रित हुई हैं ।



मं शर्मा (रज़ा)

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