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शब्दों की अहमियत को

मौन समझता है

उत्तर की प्रतीक्षा में

सवाल सिसकता है


स्पर्श की छुअन को

प्रेम समझता है

मौन की पीड़ा को

इज़हार समझता है।


मं शर्मा( रज़ा)

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