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प्रेम एक निर्बाध भाव है
संबंधों में न परिभाषित करो
दिल से दिल की बात को
प्रपोज़ डे तक न सीमित रखो।
मं शर्मा (रज़ा)
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संबंधों में न परिभाषित करो
दिल से दिल की बात को
प्रपोज़ डे तक न सीमित रखो।
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