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वक्त की चादर पर पड़ी
सिलवटें मिटाने चला था
झीनी सी चादर से गिर कर
चंद लम्हे कहीं छिटक गए।
मं शर्मा (रज़ा)
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वक्त की चादर पर पड़ी
सिलवटें मिटाने चला था
झीनी सी चादर से गिर कर
चंद लम्हे कहीं छिटक गए।
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