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मैं तुम से कभी मिला नहीं था
यूँ तो सिलसिला कोई नहीं था
बेख्याली में धड़कनों पर मैंने
नाम तेरा लिख तो दिया था
चाहत को चाहत ही रहने दिया
गिला कोई तुमसे किया नहीं था ।
मं शर्मा(रज़ा)
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