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शर्म ओ हया ओढ़ी मैंने
एक आभूषण की तरह
सदियों से ही मैंने माना
लाज शर्म मेरा गहना है
पुरूषों को भी या
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शर्म ओ हया ओढ़ी मैंने
एक आभूषण की तरह
सदियों से ही मैंने माना
लाज शर्म मेरा गहना है
पुरूषों को भी या
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