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सादगी लुभा गई
रूप हाशिए पे रह गया
बात अनसुनी रह गई
मौन सब कह गया
दिशाएँ रूक गई
वक्त पलभर थम गया
पवन का झोंका कोई
सरगोशियां कर गया ।
मं शर्मा (रज़ा)
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सादगी लुभा गई
रूप हाशिए पे रह गया
बात अनसुनी रह गई
मौन सब कह गया
दिशाएँ रूक गई
वक्त पलभर थम गया
पवन का झोंका कोई
सरगोशियां कर गया ।
मं शर्मा (रज़ा)
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