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संदेश लिखे कितने तुमको
सब अँसुवन संग धुल गए
कोरे कागज़ पर फिर भी
कुछ ह्रदय के भाव रह गए
समझ सको तो पढ़ लेना
आँसुओं की लिखावट को
जान सको तो जान लेना
वाचाल मौन की भाषा को।
मं शर्मा (रज़ा)
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