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आसमां के शामियाने तले
घर की छत पर
#बातें_करते_रहें
ठंडी सफेद चादरों पर
तुम सपनों की
पटकथा लिखो
मैं नींदों पे पहरा दूँ
रात भर तारे गिनकर
आओ सारे तारे चुनलें
दामन में सारे भरलें
भोर आते ही ले जाएगी
सपनों के पंडाल उखाड़कर।
मं शर्मा( रज़ा)
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