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घाव भर गया
निशान रह गया
जमीं खर्च हुई
आसमां रह गया
समय रहते
जीना रह गया
समंदर होकर भी
प्यासा रह गया।
मं शर्मा (रज़ा)
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घाव भर गया
निशान रह गया
जमीं खर्च हुई
आसमां रह गया
समय रहते
जीना रह गया
समंदर होकर भी
प्यासा रह गया।
मं शर्मा (रज़ा)
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