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खामोश थी तो खास थी
जुबां खुली तो आम हुई
शब्दों ने जो शमशीर गढ़ी
अनगिनत घाव कर गई
करनी का स
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खामोश थी तो खास थी
जुबां खुली तो आम हुई
शब्दों ने जो शमशीर गढ़ी
अनगिनत घाव कर गई
करनी का स
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