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सखी सहेली
नार अलबेली
कुछ बलखाती
कुछ इतराती
निपट अकेली
कहाँ चली है
राह कठिन है
दूर पनघट है
कान्हा खड़े हैं
राह में अड़े हैं
करें न बरजोरी
नटखट बड़े हैं।
मं शर्मा( रज़ा)
#स्वरचित
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सखी सहेली
नार अलबेली
कुछ बलखाती
कुछ इतराती
निपट अकेली
कहाँ चली है
राह कठिन है
दूर पनघट है
कान्हा खड़े हैं
राह में अड़े हैं
करें न बरजोरी
नटखट बड़े हैं।
मं शर्मा( रज़ा)
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