
Share0 Bookmarks 13 Reads0 Likes
छोटी छोटी ख्वाहिशों के
छोटे छोटे ख्वाब थे
चाहतों की कश्तियों में
हम तुम सवार थे
बारिशों की चाह थी
सैलाब क्यों चला आया
खुशियों की आमद से पहले
अजाब क्यों चला आया।
मं शर्मा( रज़ा)
No posts
No posts
No posts
No posts
छोटी छोटी ख्वाहिशों के
छोटे छोटे ख्वाब थे
चाहतों की कश्तियों में
हम तुम सवार थे
बारिशों की चाह थी
सैलाब क्यों चला आया
खुशियों की आमद से पहले
अजाब क्यों चला आया।
मं शर्मा( रज़ा)
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments