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छोटी छोटी ख्वाहिशों के

छोटे छोटे ख्वाब थे

चाहतों की कश्तियों में

हम तुम सवार थे


बारिशों की चाह थी

सैलाब क्यों चला आया

खुशियों की आमद से पहले

अजाब क्यों चला आया।


मं शर्मा( रज़ा)

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