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मंझधार में थी कश्ती मेरी
मैं ले आया कश्ती में
तूफान भरकर
पटका उसने लहरों को
साहिलों पर
ले जा ले जाकर
पूछ रहा मंझधार मुझसे
उन किनारों का
ठिकाना अब तक।
मं शर्मा (रज़ा)
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मंझधार में थी कश्ती मेरी
मैं ले आया कश्ती में
तूफान भरकर
पटका उसने लहरों को
साहिलों पर
ले जा ले जाकर
पूछ रहा मंझधार मुझसे
उन किनारों का
ठिकाना अब तक।
मं शर्मा (रज़ा)
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