सबक's image
Share0 Bookmarks 19 Reads0 Likes

आसमां पे नज़र नहीं आजकल

औकात अपनी पहचान गए क्या

नज़र ज़मी पर रखके चल रहे हो

ठोकरों से सबक सीख गए क्या


बातों में अब वो तल्खी नहीं है

जुबां से सभी फूल झड़ गए क्या

चाहतों की ख्वाहिशें मिट सी गई हैं

सपनों की गिरफ्त से छूट गए क्या ।


मं शर्मा (रज़ा)

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts