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राधा राधा जपते
कृष्ण भए कृष्काय
कान्हा कान्हा खोजती
राधा गई बौराय
प्रेम कहो कि प्रीत कहो
या भक्ति की रीत कहो
जित देखूँ उत तुम हो
बस तुम ही तुम हो ।
मं शर्मा (रज़ा)
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राधा राधा जपते
कृष्ण भए कृष्काय
कान्हा कान्हा खोजती
राधा गई बौराय
प्रेम कहो कि प्रीत कहो
या भक्ति की रीत कहो
जित देखूँ उत तुम हो
बस तुम ही तुम हो ।
मं शर्मा (रज़ा)
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