
Share0 Bookmarks 25 Reads0 Likes
माँ धैर्या थी
हर कष्ट में धीरज बँधाती रही
पिता संबल दे
हर हार को हराना सिखाते रहे
एक दूजे के पूरक दोनों
मुझको संपूर्ण करते रहे।
मं शर्मा (रज़ा)
No posts
No posts
No posts
No posts
माँ धैर्या थी
हर कष्ट में धीरज बँधाती रही
पिता संबल दे
हर हार को हराना सिखाते रहे
एक दूजे के पूरक दोनों
मुझको संपूर्ण करते रहे।
मं शर्मा (रज़ा)
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments